रविवार, 2 जनवरी 2011

सूचना और इन्टरनेट की ताकत



wikileaks
एक ऐसा नाम ,एक ऐसा रूप ,एक ऐसा स्वरुप जिसने न सिर्फ सदियों से अति गोपनीय रहने वाले दस्तावेजो को सार्वजानिक कर दिया, बल्कि खबर - संचार के नवीनतम माध्यम ( इन्टरनेट ) की उपयोगिता को सही साबित करते हुए अन्य संचार माध्यमो के सामने एक चुनौती भी पेश कर दी है !कि उन्हें अब अपने सूचना प्रस्तुतीकरण के एकाधिकार को बचाने के लिए नए विकल्पों पर सोचने की जरूरत है! ऐसा नहीं है कि wikileaks से पहले लोगो के पास सूचनाये नहीं पहुंचती थी या फिर भ्रस्टाचार/गड़बड़ी के खुलासे नहीं होते, थेइलेक्ट्रोनिक मीडिया के स्टिंग ऑपरेशन ने तो कई बार "table के नीचे की लेन-देन और बंद कमरो की डील" को सार्वजनिक किया! और प्रिंट मीडिया ने भी अपने स्वरुप के अनुरूप कई खुलासे किये ! पर ये दोनों माध्यम ही सूचना पस्तुत करने की एक सीमा से बंधे हुए है! इनके माध्यम से सूचना के विशाल रूप को नहीं प्रस्तुत किया जा सकता ! इनके माध्यम से 90 हजार गोपनीय दस्तावेजो को एक साथ और उनके मूल स्वरुप में ही प्रस्तुत करने के बारे में शायद हम सोच भी नहीं सकते! पर wikileaks ने इन्हें इन्टरनेट पर upload कर, न सिर्फ इन्हें सार्वजनिक किया बल्कि आम जनता तक इसकी पहुँच को भी आसान बना दिया है ! अब कोई भी इन्टरनेट तक पहुँच कर उन गोपनीय दस्तावेजो को देख सकता है, उन्हें पड़ सकता है उनको समक्ष सकता है उनका विशलेषण कर सकता है उन पर चर्चा और बहस कर सकता है शायद इसी ही को कहते है सूचना प्राप्त करने की स्वतंत्रता और आम जनता की उस तक पहुँच !

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