रविवार, 2 जनवरी 2011

मानव जीवन अनमोल है

शांति - प्रेम
दितीय विश्व युद्ध ने लाखो लोगो का जीवन छीन लिया, लाखो लोगो को बेघर कर दिया, भारत - पाकिस्तान बंटवारे ने दो देशो और लाखो भाइयो को आपस में लड़ा दिया, कारगिल युद्ध ने हजारो सैनिको को मौत की नींद सुला दिया,1962 ने चीनी- हिन्दू भाई- भाई की भावना को तोड़ दिया, हिन्दू-सिख दंगो ने साथ जन्मे- साथ खेले दो भाइयो के बीच शक पैदा कर दिया, अयोध्या ने सर्व धर्म समभाव की भावना को बाबरी मस्जिद विध्वंस के साथ तोड़ दिया, गुजरात दंगो ने एक बार फिर से धर्म की आड़ में हजारो जीवन को आग के हवाले कर दिया ............................

ऐसे न जाने कितने मामले जिन्होंने न जाने कितनी मायो की गोद सुनी कर दी , न जाने कितनी बहनों की मांग सुनी कर दी , न जाने कितने भाइयो की कलाईया सुनी कर दी , न जाने कितने मासूम बच्चो की जिन्दगी सुनी कर .........


न जाने कितनो को अपाहिज और अपंग बना दिया और न जाने कितनो के मुंह से निवाला और हाथो से काम छीन लिया ..............................
इन सभी मामलो में हर बार मानव ने ही मानव जीवन और मानव समाज को क्षति पहुंचाई है! मानव जीवन ही हर बार बलि चड़ा है! उसके जीवन जीने की स्वतंत्रता और जीवन के मूलभूत अधिकारों का हनन हुआ है! जो अधिकार मानव को प्रकृति द्वारा प्रदत है उन्हें भी चोट पहुँचाने की कोशिश की गयी और ऐसा करके प्राकृतिक नियमो का भी उलंघन किया गया है जिसके दुष्परिणाम हम आज भी भुगत रहे है !

"अगर मानव, मानव के जीवन को नष्ट कर सकता है तो मानव ही मानव के जीवन को बचा सकता है!" इसलिए हम सभी को पूर्व की घटनाओ से सबक लेते हुए हमें अपने मानव अधिकारों जानना चाहिए, उनकी रक्षा के लिए प्रेम, शांति और अहिंसा के रास्ते को अपनाना एवं उसके संरक्षण और प्रसार-प्रचार में अपना सहयोग देना चाहिए ! तब जाकर कहीं हम, सभी योनियों में श्रेष्ट "मानव जीवन" के सम्मान को बचा पाएंगे !

"मानव जीवन प्रेम , शांति और हर्षौल्लास से भरा पड़ा है कृपया इसे नफ़रत और हिंसा की आग में मत झोंकिये! "
के.एम्.भाई

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