मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

जिंदगी का फलसफा
जिंदगी का फलसफा कैसे सुनाऊ तुम्हे
शब्द नहीं मिलते और जुबां भी नहीं खुलती 
आँखे नम है और मन भी खामोस
दर्द है पर आंसू नहीं निकलते
दिल तन्हा  है और उदास भी
न कोई गीत है और न कोई सरगम
रंग भी सूखे है और रोशनी का भी पता नहीं
न कोई राह  और न ही कोई मंजिल
न कोई दोस्त है और न कोई सम्बन्धी
बस टूटे हए अरमानो के साथ एक अधमरा सा शरीर
साँस है भी तो मगर जीने की इच्छा नहीं !
जिंदगी का फलसफा कैसे सुनाऊ तुम्हे ...............................
जिंदगी का फलसफा कैसे सुनाऊ तुम्हे ..............................

के. एम्.भाई

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